चित्रपट नाम : संगम
रिहाई साल : 1964
संगीतकार : शंकर जयकिशन
गीतकार : हसरत जयपुरी
गायक : मुकेश
ओ महबूबा
तेरे दिल के पास ही है मेरी मंज़िल-ए-मक़्सूद
वो कौन सी महफ़िल है जहाँ तू नहीं मौजूद
ओ महबूबा...
किस बात से नाराज़ हो, किस बात का है ग़म
किस सोच में डूबी हो तुम, हो जायेगा संगम
ओ महबूबा...
गुज़रूँ मैं इधर से कभी, गुज़रूँ मैं उधर से
मिलता है हर इक रासता, जा कर तेरे दर से
ओ महबूबा...
बाहों के तुझे हार मैं पहनाऊँगा इक दिन
सब देखते रह जायेंगे, ले जाऊँगा इक दिन
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